नटखट तू गोपाल जैसा प्रिय तू मुझको न कोई वैसा। है हवाओं सी तुझमें चंचलता चांद सी तुझमें है शीतलता।। प्रखर सूरज सा ओज है मुख में बादलों सा पानी है। गंगा की निर्मलता तुझमें तू प्यार की रवानी है।। निश्छल तेरी यह मुस्कान जग में है सबसे छविमान। अटक अटक कर तेरा बोलना सात … Continue reading नटखट तू गोपाल जैसा
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